अपेंडिसाइटिस क्या होता है?
हमारे पेट के अंदर, आंत के पास एक छोटी सी थैली होती है, जिसे अपेंडिक्स कहते हैं। इसका कोई ख़ास काम नहीं होता, लेकिन जब ये सूज जाती है, तो बहुत ज़्यादा दर्द और परेशानी होती है — यही बीमारी अपेंडिसाइटिस कहलाती है।
ये सूजन इसलिए होती है क्योंकि अपेंडिक्स के रास्ते में कोई रुकावट आ जाती है। जैसे कभी मल (stool) फंस जाता है, या कोई infection हो जाता है। उस blockage की वजह से अंदर मवाद (पीप) भरने लगता है और बैक्टीरिया फैलने लगते हैं। फिर वही दर्द शुरू होता है।
🔸 ये बीमारी क्यों खतरनाक है?
अगर इस सूजन को समय पर नहीं रोका गया, तो अपेंडिक्स फट भी सकता है।
जब वो फटता है, तब उसमें भरा हुआ मवाद और बैक्टीरिया पूरे पेट में फैल जाते हैं।
इससे पेट के अंदर infection हो जाता है, जिसे डॉक्टर peritonitis कहते हैं — ये बहुत ही खतरनाक और जानलेवा हो सकता है।
इसलिए अपेंडिसाइटिस को मज़ाक में नहीं लेना चाहिए। दर्द शुरू होते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
🔸 अपेंडिसाइटिस के प्रकार
1️⃣ तीव्र अपेंडिसाइटिस (Acute)
- यह अचानक और बहुत तेज़ दर्द के साथ शुरू होता है।
- यह बीमारी 10 से 30 साल के उम्र वालों में ज़्यादा होती है, लेकिन किसी को भी हो सकती है।
- दर्द इतना तेज़ हो सकता है कि आदमी रात को नींद से उठ जाए।
- 24 घंटे के अंदर हालत इतनी बिगड़ सकती है कि अपेंडिक्स फट जाए।
👉 इलाज:
डॉक्टर पहले पेट का टेस्ट करेंगे — जैसे ultrasound या CT scan। फिर अगर ज़रूरत हो, तो तुरंत ऑपरेशन करके अपेंडिक्स निकाल दिया जाता है।
2️⃣ पुराना अपेंडिसाइटिस (Chronic)
- ये बहुत धीरे-धीरे और हल्के लक्षणों के साथ होता है।
- कई बार महीनों या सालों तक पता नहीं चलता।
- दर्द आता है और चला जाता है।
- कभी-कभी लगता है कि गैस या कब्ज़ है, लेकिन असल में अपेंडिक्स ही परेशान कर रहा होता है।
- धीरे-धीरे ये भी तेज़ अपेंडिसाइटिस में बदल सकता है।
👉 इसलिए पेट का बार-बार एक ही जगह दर्द हो रहा हो, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ।
🔸 लक्षण (Symptoms)
अपेंडिसाइटिस के कुछ पहचान के लक्षण होते हैं:
पेट का दर्द:
- शुरू में नाभि के पास हल्का दर्द होता है
- फिर धीरे-धीरे वो दर्द पेट के नीचे दाईं ओर चला जाता है
- दर्द चलने, उठने-बैठने, खाँसने से और ज़्यादा होता है
- कुछ लोग बताते हैं कि “ऐसा दर्द पहले कभी नहीं हुआ”
और लक्षण:
- भूख कम लगना या बिल्कुल नहीं लगना
- उल्टी या मिचली आना
- पेट में फुलाव या गैस जैसी तकलीफ़
- हल्का बुखार (100-101 डिग्री तक)
- कभी-कभी मल त्याग करने में दिक्कत
👉 इन लक्षणों को देखकर लोग सोचते हैं कि “कब्ज़ है” या “गैस हो गई है”, लेकिन अगर दर्द 5-6 घंटे से ज़्यादा रहे और लगातार बढ़ता जाए, तो समझो मामला गंभीर है।
🔸 इलाज (Treatment)
- जाँच (जैसे ultrasound, blood test) करके डॉक्टर ये तय करते हैं कि अपेंडिसाइटिस है या नहीं।
- अगर लक्षण साफ़ हैं, तो:
- पहले दवा (antibiotics) दी जाती है infection को कंट्रोल करने के लिए।
- फिर जल्दी ही ऑपरेशन (surgery) किया जाता है — जिसमें अपेंडिक्स को निकाल दिया जाता है।
- आजकल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी होती है — जिसमें छोटा चीरा लगता है और जल्दी ठीक हो जाते हैं।
👉 एक बार अपेंडिक्स निकल जाए, तो दोबारा ये बीमारी नहीं होती।
🔸 गाँव वालों के लिए सलाह
- पेट में अचानक कोई अजीब तरह का दर्द हो, जो लगातार बढ़ता जाए — तो अपने मन से घरेलू इलाज करने की बजाय सीधे अस्पताल या अच्छे डॉक्टर को दिखाएँ।
- दर्द के साथ अगर भूख नहीं लगे, उल्टी हो, या बुखार हो, तो बिल्कुल देरी ना करें।
- अपेंडिसाइटिस जितनी जल्दी पकड़ा जाए, उतना अच्छा इलाज होता है और ज़िंदगी बचती है।
अपेंडिसाइटिस होने के कारण (Causes)
असल में अपेंडिसाइटिस क्यों होता है, इसका ठीक-ठीक कारण कई बार पता नहीं चलता। लेकिन ज़्यादातर बार ये इसलिए होता है क्योंकि अपेंडिक्स का रास्ता बंद हो जाता है।
इस blockage की वजह कई चीजें हो सकती हैं:
- सूखा हुआ मल (कठोर शौच) अपेंडिक्स में फँस जाता है
- आंतों के पास की ग्रंथियाँ (लसिका ग्रंथियाँ) सूज जाती हैं
- आंतों में कीड़े (जैसे पेट के कीड़े)
- पेट में कोई चोट लगना
- अंदर कोई गांठ या tumor बन जाना
🔸 किसे ज़्यादा खतरा होता है? (Risk Factors)
कोई भी इंसान अपेंडिसाइटिस से परेशान हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इसका ज़्यादा खतरा रहता है:
- उम्र: ये बीमारी ज़्यादातर 10 से 30 साल के नौजवानों में देखी जाती है। लेकिन छोटे बच्चों और बूढ़ों को भी हो सकती है।
- लिंग (Sex): मर्दों को अपेंडिसाइटिस होने की संभावना औरतों से ज़्यादा होती है।
- परिवार का इतिहास: अगर घर में किसी को पहले अपेंडिसाइटिस हुआ है, तो आपके होने की भी संभावना थोड़ी ज़्यादा है।
🔸 अगर इलाज ना हो तो क्या हो सकता है? (Complications)
अगर अपेंडिसाइटिस का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब अपेंडिक्स फट जाता है।
जब अपेंडिक्स फटता है, तो उसके अंदर का मवाद (पीप) और गंदगी (stool) पेट के अंदर फैल जाती है। इससे जानलेवा infection हो सकता है।
नीचे कुछ मुख्य समस्याएँ दी गई हैं जो अपेंडिक्स फटने पर हो सकती हैं:
1️⃣ पेरिटोनाइटिस (Peritonitis)
- जब अपेंडिक्स फटता है, तब बैक्टीरिया पेट के अंदर की परत (peritoneum) में फैल जाते हैं।
- इससे पेट में तेज़ जलन, दर्द और सूजन हो जाती है — यही पेरिटोनाइटिस कहलाता है।
- यह बहुत खतरनाक हो सकता है, और अगर समय पर इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है।
- इसका इलाज होता है एंटीबायोटिक दवाओं और ऑपरेशन से।
2️⃣ फोड़ा (Abscess)
- अगर अपेंडिक्स फट जाए, तो शरीर infection से लड़ने के लिए उस जगह के चारों ओर मवाद जमा कर देता है — इसी को फोड़ा या abscess कहते हैं।
- यह बहुत दर्दनाक होता है।
- इसका इलाज भी दवाइयों और कभी-कभी सुई से मवाद निकालकर किया जाता है।
3️⃣ सेप्सिस (Sepsis)
- कभी-कभी infection खून में मिलकर पूरे शरीर में फैल जाता है — इसे सेप्सिस कहते हैं।
- ये बहुत खतरनाक स्थिति होती है और तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है।
- अगर किसी को तेज़ बुखार, ठंड लगना, बेहोशी, या साँस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत एम्बुलेंस या अस्पताल ले जाना चाहिए।
🔸 इलाज और सावधानी
👉 इन सब गंभीर हालत से बचने के लिए डॉक्टर क्या करते हैं?
- दवाएँ (एंटीबायोटिक) दी जाती हैं infection को रोकने के लिए
- ज़्यादातर मामलों में ऑपरेशन किया जाता है और अपेंडिक्स निकाल दिया जाता है
✔️ ऑपरेशन और दवाओं में थोड़ा जोखिम ज़रूर होता है, लेकिन यह उन खतरनाक बीमारियों से कहीं कम है जो अपेंडिक्स के फटने से हो सकती हैं।
💡 गाँव वालों के लिए सीधी बात:
- अगर पेट में नीचे-दाईं ओर तेज़ दर्द हो, उल्टी आए, बुखार हो या खाना खाने का मन न करे — तो देरी मत कीजिए।
- झाड़-फूंक या घरेलू नुस्खों में समय खराब करने की बजाय सीधे अस्पताल जाएँ।
- जितनी जल्दी इलाज होगा, उतनी जल्दी जान बचाई जा सकती है।
डॉक्टर अपेंडिसाइटिस की पहचान कैसे करते हैं?
जब किसी को पेट के नीचे-दाईं ओर तेज़ दर्द हो और डॉक्टर को शक हो कि ये अपेंडिसाइटिस हो सकता है, तो सबसे पहले डॉक्टर कुछ बातें पूछते हैं और फिर पेट की जाँच करते हैं।
🔍 डॉक्टर क्या करते हैं?
- लक्षण पूछते हैं – जैसे दर्द कब शुरू हुआ, कहाँ हो रहा है, उल्टी-बुखार हो रहा है या नहीं।
- पेट दबाकर देखते हैं – खासकर पेट के नीचे दाहिनी तरफ दबाकर देखते हैं कि कहीं सूजन या बहुत ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा।
🔸 टेस्ट कौन-कौन से किए जाते हैं?
क्योंकि ऐसा कोई एक टेस्ट नहीं है जिससे तुरंत पता चल जाए कि अपेंडिसाइटिस है या नहीं — इसलिए डॉक्टर कुछ अलग-अलग जाँचें करवाते हैं:
1️⃣ खून की जाँच (Blood Test)
- डॉक्टर खून की रिपोर्ट से इन्फेक्शन की निशानी देखते हैं।
- इसके लिए CBC (Complete Blood Count) नाम की जाँच होती है, जिससे सफेद रक्त कण (white blood cells) गिने जाते हैं। अगर ये ज़्यादा हो तो infection का संकेत होता है।
- कभी-कभी CRP (C-reactive protein) नाम की टेस्ट भी की जाती है, जिससे शरीर में किसी और सूजन या बीमारी (जैसे autoimmune रोग) का पता चलता है।
2️⃣ पेशाब की जाँच (Urine Test)
- अपेंडिसाइटिस का दर्द कई बार मूत्र संक्रमण (UTI) या गुर्दे की पथरी (kidney stone) जैसा भी लग सकता है।
- इसलिए डॉक्टर पेशाब की जांच करवाते हैं ताकि ये दूसरी बीमारियाँ साफ़ हो जाएँ।
3️⃣ गर्भावस्था की जाँच (Pregnancy Test) – (महिलाओं के लिए)
- कभी-कभी महिलाओं में ectopic pregnancy (गर्भाशय के बाहर गर्भ ठहरना) की वजह से भी अपेंडिसाइटिस जैसा दर्द होता है।
- ऐसे मामलों में डॉक्टर गर्भावस्था की जाँच (urine या blood test) कराते हैं।
- अगर संदेह हो तो transvaginal ultrasound (अंदर से जाँच) कराई जाती है ताकि पता चले कि भ्रूण (baby) कहाँ रुका है।
- अगर गर्भाशय से बाहर गर्भ ठहरा हो, तो तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है — दवा या ऑपरेशन से।
4️⃣ पेट का स्कैन (Imaging Tests)
डॉक्टर अपेंडिक्स में सूजन है या नहीं, ये देखने के लिए स्कैन या इमेजिंग टेस्ट कराते हैं:
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
- CT स्कैन (CT Scan)
- MRI (गर्भवती महिला के लिए ज़्यादा सुरक्षित तरीका)
इन टेस्ट्स से न सिर्फ अपेंडिसाइटिस का पता चलता है, बल्कि दूसरी समस्याएँ भी दिख सकती हैं:
🔹 पेट में फोड़ा (Abscess)
🔹 कठोर मल का जमाव (Fecal impaction)
🔹 आंत की सूजन वाली बीमारी (जैसे IBD – Inflammatory Bowel Disease)
📌 कुछ टेस्ट के पहले क्या करना होता है?
- कई बार डॉक्टर कह सकते हैं कि टेस्ट से पहले कुछ घंटों तक खाना न खाएँ (खाली पेट रहें)।
- वे आपको बता देंगे कि क्या करना है और कब टेस्ट कराना है।
🔚 गाँव वालों के लिए सीधी बात:
अगर पेट में ऐसा दर्द हो जो पहले कभी न हुआ हो, साथ में उल्टी, बुखार, भूख न लगना जैसे लक्षण हों — तो खुद इलाज करने या देरी करने के बजाय सीधे डॉक्टर के पास जाएँ।
डॉक्टर की जाँच से ही सही बीमारी का पता चलता है। समय पर जाँच और इलाज से बड़ी मुसीबत से बचा जा सकता है।
अपेंडिसाइटिस का इलाज (Treatment)
अगर डॉक्टर को यकीन हो जाए कि आपको अपेंडिसाइटिस है, तो सबसे पहले:
✅ 1. एंटीबायोटिक दवाएँ (Infection रोकने के लिए)
- पहले कुछ दिन डॉक्टर दवाएँ देते हैं ताकि अंदर का इन्फेक्शन कम हो जाए।
✅ 2. ऑपरेशन (Appendectomy)
- दवा के बाद अपेंडिक्स को ऑपरेशन करके निकाल दिया जाता है।
- इस ऑपरेशन को अपेंडेक्टॉमी कहते हैं।

अपेंडिसाइटिस क्या होता है?
✳️ और क्या इलाज होता है?
कभी-कभी इलाज में ये भी शामिल हो सकते हैं:
- दर्द कम करने की दवा (Painkillers)
- IV ड्रिप (नस से पानी चढ़ाना) — ताकि शरीर में पानी की कमी न हो
- तरल आहार (Liquid diet) — जब ठोस खाना हजम न हो
- अगर अंदर फोड़ा (abscess) बना हो और फटा न हो — तो पहले मवाद निकाला जाता है, फिर ऑपरेशन होता है।
🟡 कुछ हल्के मामलों में, अगर अपेंडिक्स बहुत ज़्यादा खराब नहीं हुआ है, तो सिर्फ दवाओं से ही आराम मिल सकता है।
पर ज़्यादातर मामलों में ऑपरेशन ज़रूरी होता है।
🔸 बचाव कैसे करें? (Prevention)
ऐसा कोई पक्का तरीका नहीं है जिससे अपेंडिसाइटिस से 100% बचा जा सके —
परंतु फाइबर वाला खाना खाने से इसका खतरा कम हो सकता है।
🍀 फाइबर कहाँ से मिलता है?
- फल (जैसे पपीता, अमरूद, सेब)
- हरी सब्जियाँ (जैसे पालक, मेथी, भिंडी)
- दालें और चने (अरहर, मूंग, मसूर, मटर, राजमा)
- साबुत अनाज (जैसे ब्राउन चावल, दलिया, गेहूँ की रोटी)
👉 अगर फाइबर की मात्रा खाने में कम हो, तो डॉक्टर फाइबर सप्लीमेंट भी दे सकते हैं।
🔸 इलाज के बाद की स्थिति (Outlook and Recovery)
आप कितनी जल्दी ठीक होंगे, ये कई बातों पर निर्भर करता है:
- आपकी शारीरिक सेहत
- अपेंडिक्स फटने से कोई जटिलता हुई या नहीं
- किस तरह का इलाज मिला (दवा, लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी)
🏥 सर्जरी के प्रकार:
🔹 लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (छोटे छेद वाली सर्जरी):
- इसमें पेट में छोटे-छोटे छेद करके अपेंडिक्स निकाला जाता है
- आप उसी दिन या अगले दिन घर जा सकते हैं
- जल्दी ठीक होते हैं और दर्द भी कम होता है
🔹 ओपन सर्जरी (पेट काटकर):
- अगर अपेंडिक्स फट चुका हो या infection फैल गया हो, तो ये सर्जरी होती है
- इसमें पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है
- आपको अस्पताल में कुछ दिन रुकना पड़ता है
- ठीक होने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है
🔸 घर जाने से पहले ध्यान रखने वाली बातें:
- डॉक्टर आपको जख्म की सफाई कैसे करनी है, ये सिखाएँगे
- एंटीबायोटिक या दर्द की दवाएँ लिखकर देंगे
- खाने-पीने और कामकाज में सावधानी बताई जाएगी
- ज्यादा भाग-दौड़ या भारी काम करने से मना किया जाएगा
⏳ कितने दिन में ठीक होते हैं?
- आमतौर पर 2–4 हफ़्ते में लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं
- अगर कोई complication हो (जैसे फोड़ा, infection आदि), तो ठीक होने में ज़्यादा समय लग सकता है
🧓 गाँव के लोगों के लिए सीधी सलाह:
- अपेंडिसाइटिस को कभी हल्के में मत लें
- देसी इलाज या झाड़-फूंक में समय खराब न करें
- अगर पेट में असहनीय दर्द हो, उल्टी, बुखार, खाना न पचना — तो तुरंत अस्पताल जाएँ
- डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें और ऑपरेशन से डरें नहीं — ये जान बचाने वाला इलाज है
आम सवाल-जवाब (Common Questions)
❓ 1. अपेंडिसाइटिस और गैस के पेट दर्द में क्या फर्क है?
👉 फर्क सबसे पहले दर्द की जगह से समझ आता है:
- अपेंडिसाइटिस में दर्द ज़्यादातर पेट के नीचे-दाहिनी तरफ होता है।
- गैस या बदहजमी का दर्द पूरे पेट में इधर-उधर घूमता रहता है।
🟡 अपेंडिसाइटिस में दर्द धीरे-धीरे तेज़ होता है, चलने, हँसने, खाँसने या पेट दबाने पर और ज़्यादा बढ़ता है।
❓ 2. अपेंडिसाइटिस क्यों होता है?
👉 जब अपेंडिक्स में रास्ता बंद हो जाता है, तब वहां अंदर सूजन और इन्फेक्शन हो सकता है। ये बंद होने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं:
- कठोर मल (सूखा टट्टी) जमा होना
- चोट लगना
- सूजन वाली गांठ या ट्यूमर
❓ 3. कैसे पता चलेगा कि अपेंडिसाइटिस है?
👉 अगर ये लक्षण दिखें तो समझिए खतरा हो सकता है:
- पेट के नीचे-दाहिने हिस्से में तेज़ दर्द
- हिलने-डुलने या खाँसने से दर्द बढ़ना
- भूख न लगना, उल्टी, बुखार
- पेट में सूजन या दबाव डालने पर बहुत दर्द
📌 डॉक्टर से जाँच करवाने पर ही पक्के तौर पर पता चलता है। वे खून, पेशाब, अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन की मदद से अपेंडिसाइटिस की पुष्टि करते हैं।
✅ सारांश (Takeaway)
- अपेंडिक्स में सूजन होने को ही अपेंडिसाइटिस कहते हैं।
- अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो अपेंडिक्स फट सकता है, जिससे पेट में जानलेवा इन्फेक्शन हो सकता है।
- इलाज में पहले एंटीबायोटिक दवा और फिर ऑपरेशन (Appendectomy) होता है।
🛑 अगर पेट में ऐसा दर्द हो जो पहले कभी न हुआ हो, तो देरी मत करें — तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
3. पुराना अपेंडिसाइटिस क्या होता है? (What is Chronic Appendicitis?)
👉 पुराना अपेंडिसाइटिस बहुत दुर्लभ (कम मिलने वाला) रोग है। इसमें अपेंडिक्स में धीमी सूजन होती है, जो कभी-कभी ठीक हो जाती है और फिर वापस आ जाती है।
👉 इसके लक्षण अक्सर धीमे और हल्के होते हैं, इसलिए इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
अगर समय रहते इसका इलाज न हो, तो यह बाद में तेज़ (acute) अपेंडिसाइटिस में बदल सकता है, जो ज़्यादा खतरनाक होता है।
❗ लक्षण (Symptoms):
पुराने अपेंडिसाइटिस के लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते हैं और कुछ समय बाद फिर गायब हो सकते हैं।
सबसे आम लक्षण है:
- पेट दर्द
- दर्द आमतौर पर निचली दाहिनी तरफ होता है
- कभी-कभी नाभि के पास शुरू होकर बाद में दाईं तरफ जाता है
- दर्द धीमा, सुस्त और कभी-कभी तेज़ भी हो सकता है
🔹 अन्य लक्षण:
- हल्का बुखार
- पेट में सूजन या दबाव डालने पर दर्द
- थकान या बहुत जल्दी थक जाना
- मन बेचैन रहना, शरीर में अजीब-सा एहसास
- उल्टी या दस्त (कभी-कभी)
👉 ये लक्षण कभी-कभी आते-जाते रहते हैं, इसलिए लोग इसे मामूली गैस या बदहजमी समझ बैठते हैं।
🟠 चिंता की बात कब है?
अगर ये लक्षण:
- बार-बार हो रहे हों
- दर्द दिन-ब-दिन बढ़ रहा हो
- खाना हज़म न हो रहा हो
तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
🔄 पुराने और तेज़ अपेंडिसाइटिस में क्या फर्क है?
बात | पुराना अपेंडिसाइटिस (Chronic) | तेज़ अपेंडिसाइटिस (Acute) |
लक्षण | धीरे-धीरे आते हैं | अचानक और तेज़ |
दर्द | हल्का और बार-बार आने वाला | बहुत तेज़ और लगातार |
समय | कई हफ़्तों, महीनों या सालों तक रह सकता है | 24–48 घंटे में तेज़ हो जाता है |
इलाज | अक्सर पहचान में देर होती है | तुरंत इलाज ज़रूरी होता है |
👉 कई बार पुराना अपेंडिसाइटिस पहचान में नहीं आता, और जब तक पता चलता है, तब तक वह तेज़ अपेंडिसाइटिस बन चुका होता है।
🧓 गाँव के लोगों के लिए सीधी सलाह:
- अगर पेट में बार-बार दर्द होता है, खासकर दाईं ओर, तो इसे हल्के में न लें।
- जब भी दर्द आता-जाता रहे और साथ में थकान, बुखार या उल्टी हो — सीधे डॉक्टर के पास जाएँ।
- देरी करने से अपेंडिक्स फट सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।
पुराना अपेंडिसाइटिस: कारण (Causes of Chronic Appendicitis)
👉 डॉक्टरों को अब तक सही कारण पूरी तरह से पता नहीं चला है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में अपेंडिक्स में सूजन या आधा-अधूरा रुकाव (partial blockage) इसकी वजह बनता है।
⚠️ यह चीज़ें कारण बन सकती हैं:
- पेट में सूखा मल (कठोर टट्टी) जमा हो जाना
- कैल्सियम जमा मल (पथरी जैसे छोटे ढेले)
- ट्यूमर (गांठ बन जाना)
- सूजन वाले लिम्फ नोड्स
- आंतों में कीड़े
- चोट लगना या पेट पर झटका
- बाहरी चीज़ें, जैसे कि छोटे पत्थर, कंचे या पिन पेट में चले जाना (बच्चों में ज़्यादा होता है)
🦠 जब अपेंडिक्स आंशिक रूप से बंद हो जाता है, तो वहाँ बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिससे धीरे-धीरे सूजन और दर्द होता है।
🌾 बचाव कैसे करें? (Can it be prevented?)
👉 अब तक कोई पक्का तरीका नहीं मिला जिससे Chronic Appendicitis को पूरी तरह रोका जा सके।
✅ लेकिन कुछ डॉक्टर कहते हैं कि अगर रेशेदार खाना (फाइबर वाला भोजन) खाएँ, तो कुछ हद तक बचाव हो सकता है।
फाइबर वाले खाने में ये चीज़ें आती हैं:
- फल और हरी सब्ज़ियाँ
- चना, मसूर, मूँग, अरहर
- जौ, ओट्स, मोटा आटा, भूरे चावल (ब्राउन राइस)
❗ पर ध्यान दें: यह उपाय 100% साबित नहीं हुआ है, पर ये खाना वैसे भी पाचन के लिए अच्छा है।
🩺 कैसे पता चले कि पुराना अपेंडिसाइटिस है? (Diagnosis)
👉 जांच करना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण कई दूसरी बीमारियों जैसे दिखते हैं।
डॉक्टर क्या करते हैं?
- पहले आपका हाल पूछेंगे — कब से दर्द है, कैसे आता-जाता है।
- फिर पेट की जांच करेंगे, खासकर निचली दाईं तरफ दबाकर।
- फिर कुछ टेस्ट करवाते हैं:
🔬 ज़रूरी जांचें:
- खून की जांच (इन्फेक्शन है या नहीं देखने को)
- पेशाब की जांच (कहीं पथरी या यूरिन इन्फेक्शन तो नहीं)
- प्रेगनेंसी टेस्ट (महिलाओं में ज़रूरी)
- पेल्विक एग्जाम (महिलाओं के गर्भाशय या अंडाशय की जांच)
- CT स्कैन – अपेंडिक्स की असली स्थिति पता करने को
- अल्ट्रासाउंड, MRI या X-ray भी ज़रूरत पड़ने पर
🔍 कौन-कौन सी दूसरी बीमारियाँ दिखती हैं इसी जैसी?
- गैस और पेट की गड़बड़ी (Gastro problems)
- क्रोहन डिज़ीज़ (Crohn’s) या अल्सरेटिव कोलाइटिस
- पेशाब या गुर्दे में इन्फेक्शन
- आईबीएस (IBS – Irritable Bowel Syndrome)
- महिलाओं में – अंडाशय की गांठ (Ovarian Cyst)
- पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिज़ीज़ (PID)
👉 इसलिए डॉक्टर को पूरी जानकारी साफ-साफ देना बहुत ज़रूरी है, ताकि सही बीमारी पकड़ी जा सके।
इलाज (Treatment)
👉 जब डॉक्टर को लगता है कि आपको पुराना अपेंडिसाइटिस है, तो वह आपके शरीर के हिसाब से इलाज का पूरा प्लान बनाएँगे। इसलिए डॉक्टर की हर बात ध्यान से सुनना और बताई गई दवाई सही वक्त पर लेना बहुत ज़रूरी है।
✳️ इलाज में ये चीज़ें हो सकती हैं:
- एंटीबायोटिक दवाईयाँ – अगर अपेंडिक्स में हल्का संक्रमण या सूजन है तो डॉक्टर पहले दवा से ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं।
- अगर मवाद (pus) जमा हो गया हो, तो डॉक्टर उसे एक सुई या ट्यूब से निकाल सकते हैं।
- अगर हालात नहीं सुधरते, तो ज़्यादातर मामलों में सर्जरी करनी पड़ती है।
🔧 सर्जरी के दो तरीके होते हैं:
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
– इसमें पेट में छोटे-छोटे छेद करके अपेंडिक्स निकाला जाता है।
– जल्दी ठीक हो जाता है, टाँके भी कम होते हैं। - लैपरोटॉमी सर्जरी
– इसमें पेट में बड़ा चीरा लगाया जाता है।
– अगर हालत गंभीर हो या मवाद ज्यादा हो, तब ज़रूरी होती है।
📌 डॉक्टर से बात करके जान लें कि आपके लिए कौन-सी सर्जरी बेहतर रहेगी।

अपेंडिसाइटिस क्या होता है?
⚠️ अगर इलाज न हो तो क्या हो सकता है? (Complications)
अगर आप लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं या इलाज में देरी करते हैं, तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं।
⚡ पुराना अपेंडिसाइटिस से ये दिक्कतें हो सकती हैं:
- एकाएक अपेंडिसाइटिस बढ़ जाना (Acute Appendicitis)
- अपेंडिक्स फट जाना (Ruptured Appendix)
- पेट में मवाद भर जाना (Abscess)
- पूरे शरीर में इन्फेक्शन फैल जाना (Sepsis) – जानलेवा हो सकता है
- पेट की झिल्ली में सूजन (Peritonitis)
👉 अगर पेट में तेज़ दर्द हो रहा हो, बुखार हो या उल्टी जैसा लगे, तो तुरंत अस्पताल जाएँ।
🌈 भविष्य की हालत कैसी रहती है? (Outlook)
- पुराना अपेंडिसाइटिस, एकाएक होने वाले अपेंडिसाइटिस से कम तकलीफदेह होता है, पर इससे धोखा मत खाइए।
- ज़्यादातर समय, लोग इसे मामूली गैस या पेट दर्द समझकर उपचार में देरी कर देते हैं।
- सही समय पर इलाज और सर्जरी हो जाए तो आप बिल्कुल ठीक हो सकते हैं।
📢 ध्यान रखिए:
🔹 पेट के निचले दाहिने हिस्से में बार-बार दर्द हो रहा हो या कभी आता-जाता हो, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ।
🔹 समय पर इलाज न किया गया तो बात हाथ से निकल सकती है।
Appendicitis यानी अपेंडिक्स में सूजन – पूरी जानकारी और जरूरी चेतावनी
1. अपेंडिक्स क्या है?
आपके पेट के निचले दाईं तरफ बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा सा पाउच होता है, जिसे अपेंडिक्स कहते हैं। यह एक छोटी नली जैसा हिस्सा होता है।
- शरीर के लिए इसका कोई बड़ा काम नहीं माना जाता, लेकिन यह आपके इम्यून सिस्टम को थोड़ी मदद कर सकता है।
- ज़्यादातर लोग बिना अपेंडिक्स के भी पूरी तरह से ठीक से जी सकते हैं।
2. अपेंडिसाइटिस कैसे होता है?
जब अपेंडिक्स के अंदर का रास्ता कठिन मल, म्यूकस (चिपचिपा द्रव्य), कीड़े या चोट से बंद हो जाता है, तब उसके अंदर की बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगती हैं।
- इससे अपेंडिक्स में सूजन (इंफ्लेमेशन) हो जाती है।
- सूजन के कारण दर्द शुरू हो जाता है, जो धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।
- अगर जल्दी इलाज न हो, तो अपेंडिक्स फट सकता है, जिससे खतरनाक इन्फेक्शन फैल जाता है।
3. अपेंडिसाइटिस के शुरुआती लक्षण
शुरू में दर्द हल्का होता है और अक्सर नाभि (पेट के बीच) के आसपास महसूस होता है। फिर कुछ घंटे में यह दर्द पेट के निचले दाहिने हिस्से में तेज़ और तीखा हो जाता है।
दूसरे लक्षण हो सकते हैं:
- भूख कम लगना
- उल्टी या मितली होना
- हल्का बुखार
- कब्ज या दस्त
- पेट फुलना और गैस पास करने में तकलीफ
4. कब समझें कि यह आपेंडिसाइटिस है?
अगर ये लक्षण हों और दर्द बढ़ता जाए:
- हल्की-हल्की हरकत करने या खांसने से दर्द बढ़ जाए
- दर्द इतना ज़ोरदार हो कि आपको नींद न आए
- भूख बिल्कुल न लगे और उल्टी हो रही हो
- पेट फूला हुआ और दबाने पर दर्द हो
तो समझ जाइए कि अपेंडिक्स में सूजन हो सकती है। तुरंत डॉक्टर से मिलें।
5. अगर इलाज ना हो तो क्या हो सकता है?
अगर समय पर इलाज न हो, तो अपेंडिक्स फट सकता है। इसके बाद:
- अपेंडिक्स के अंदर का मवाद पेट के अंदर फैल जाता है
- पेट की झिल्ली में इन्फेक्शन हो जाता है, जिसे पेरिटोनाइटिस कहते हैं
- यह बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है, जो जानलेवा भी हो सकती है।
- इससे आपकी जान बचाने के लिए तुरंत अस्पताल जाना ज़रूरी है।
6. फटने का खतरा कब तक रहता है?
- अपेंडिसाइटिस के लक्षण दिखने के बाद 24 से 48 घंटे में फटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
- अगर 48 घंटे से ज़्यादा हो जाए और इलाज न हो, तो जोखिम बहुत बढ़ जाता है।
7. इलाज क्या है?
- डॉक्टर पहले दवाई (एंटीबायोटिक) दे सकते हैं ताकि संक्रमण कम हो।
- ज़्यादातर मामलों में आपको अपेंडिक्स निकालने की सर्जरी (अपेंडेक्टॉमी) करानी पड़ती है।
- सर्जरी दो तरीके से होती है:
- लेप्रोस्कोपिक सर्जरी: पेट में छोटे-छोटे छेद करके की जाती है, जल्दी ठीक हो जाते हैं।
- ओपन सर्जरी: पेट में बड़ा चीरा लगाकर होती है, ज़्यादा देखभाल चाहिए।
8. आप क्या कर सकते हैं?
- पेट में दर्द शुरू होते ही डॉक्टर से दिखाएँ।
- दर्द बढ़ने या अन्य लक्षण आने पर देरी न करें।
- समय पर इलाज से आप पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
- फटने पर स्थिति जानलेवा हो जाती है, इसलिए सतर्क रहें।
9. ध्यान रखें:
- अपेंडिक्स शरीर के लिए ज़रूरी अंग नहीं है, लेकिन इसका सूजन होना और फटना बहुत बड़ा खतरा है।
- दर्द शुरू होते ही अस्पताल जाना ज़रूरी है, मत सोचिए कि “चल जाएगा”।
10. अंत में – सलाह
गाँव में कई लोग पेट दर्द को मामूली समझ कर घरेलू नुस्खे करते रहते हैं, लेकिन अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है और निचले दाईं तरफ है, तो डॉक्टर की सलाह लेना सबसे सुरक्षित है।
इसे नजरअंदाज करने से जान को खतरा हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के आम लक्षण
- पेट में दर्द:
शुरुआत में पेट के चारों ओर हल्का-सा कसकता या मरोड़ वाला दर्द होता है। जैसे-जैसे अपेंडिक्स में सूजन बढ़ती है, दर्द पेट के निचले दाहिने तरफ तेज और लगातार हो जाता है।
कभी-कभी अपेंडिक्स का ठिकाना अलग हो सकता है, तब दर्द कमर या नितम्ब (पेल्विस) में भी हो सकता है। - हल्का बुखार:
अपेंडिसाइटिस होने पर बुखार थोड़ा कम या मध्यम रहता है, लगभग 37.2°C से 38°C (99°F से 100.5°F) के बीच। कभी-कभी ठंड लग सकती है।
अगर अपेंडिक्स फट जाए तो बुखार बढ़कर 38.3°C (101°F) से ऊपर भी हो सकता है, और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। - पेट से जुड़ी तकलीफें:
मितली लगना, उल्टी होना, या भूख कम लगना आम बात है। कुछ लोगों को कब्ज या दस्त भी हो सकते हैं।
अगर गैस निकलने में दिक्कत हो रही है, तो इसका मतलब हो सकता है कि अपेंडिक्स की सूजन से आंत में रास्ता बंद हो गया है।
अगर ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस के लक्षण
अगर आपके बच्चे को ऐसा लगे कि उसे अपेंडिसाइटिस हो सकता है, तो बिना देर किए अस्पताल ले जाएं।
छोटे बच्चे अपने दर्द या तकलीफ ठीक से बता नहीं पाते, इसलिए समझना मुश्किल होता है कि दर्द कहाँ है। कई बार बच्चे कहते हैं कि पूरा पेट दुख रहा है, जिससे अपेंडिसाइटिस पहचानना मुश्किल होता है।
कई बार यह पेट की सामान्य बीमारी या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (पेशाब में जलन या दर्द) से भी मिल सकता है।
इसलिए सावधानी रखना जरूरी है, क्योंकि अगर अपेंडिक्स फट जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है, खासकर छोटे बच्चों और नन्हे बच्चों में।
2 साल से कम उम्र के बच्चों में आम लक्षण:
- उल्टी आना
- पेट सूजना या फूल जाना
- पेट में कोमलता (छूने पर दर्द होना)
बड़े बच्चों और किशोरों में लक्षण:
- मितली आना
- उल्टी होना
- पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द होना
इसलिए, बच्चों में भी अगर ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर के पास जल्दी से जल्दी पहुँचें। देरी न करें।
गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस के लक्षण:
गर्भावस्था के दौरान कई बार ऐसा होता है कि पेट में दर्द, मरोड़, मितली-उल्टी जैसी तकलीफें होती हैं, जो आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को होती हैं। इसलिए अपेंडिसाइटिस का दर्द समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
लेकिन असल में जब अपेंडिक्स सूज जाता है या उसमें कोई रुकावट हो जाती है, तो दर्द शुरू होता है। क्योंकि गर्भाशय बड़ा होने लगता है, यह अपेंडिक्स को ऊपर की तरफ खिसका देता है। इस वजह से दर्द पेट के निचले दाहिने हिस्से की जगह ऊपर की तरफ भी महसूस हो सकता है।
इसके अलावा, गर्भवती महिला को जलन, गैस, कब्ज या दस्त की तकलीफ भी हो सकती है। ये लक्षण थोड़ा अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए सही पहचान के लिए डॉक्टर से जांच जरूरी है।
डॉक्टर कैसे जांच करते हैं?
जब आप डॉक्टर के पास जाएं, तो वे सबसे पहले आपके लक्षण पूछेंगे, जैसे कि कब से दर्द हो रहा है, और क्या और कोई तकलीफ है। इसके बाद वे पेट की जांच करेंगे — पेट के उस हिस्से को दबाएंगे जहां दर्द होता है।
कई बार अपेंडिसाइटिस के लक्षण दूसरे बीमारियों जैसे कि यूरिन संक्रमण या किडनी स्टोन से भी मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए डॉक्टर कुछ खास जांच कराते हैं:
- खून की जांच: इससे पता चलता है कि शरीर में संक्रमण है या नहीं।
- पेशाब की जांच: ये जांच ये देखने के लिए होती है कि यूरिनरी ट्रैक्ट में कोई समस्या तो नहीं।
- पेट का अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन: ये जांच पेट के अंदर की तस्वीर दिखाती है ताकि पता चले अपेंडिक्स सूजा है या नहीं।
- MRI: खासतौर पर अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे में कोई दिक्कत है, तो रेडिएशन से बचने के लिए MRI करवाया जाता है।
इलाज का तरीका:
अगर डॉक्टर को लगे कि आपको अपेंडिसाइटिस है, तो सबसे पहले आपको एंटीबायोटिक्स दवाइयां दी जाएंगी ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
इसके बाद अपेंडिक्स निकालने का ऑपरेशन (appendectomy) किया जाएगा। यह ऑपरेशन दो तरह से होता है:
- ओपन ऑपरेशन (Open Appendectomy):
डॉक्टर पेट के निचले दाहिने हिस्से में बड़ा चीरा लगाते हैं और अपेंडिक्स निकाल देते हैं। यह तरीका तब अपनाते हैं जब अपेंडिक्स फट गया हो या आस-पास फोड़ा (abscess) बन गया हो।
इस ऑपरेशन के बाद मरीज को ठीक होने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है और अस्पताल में भी रहना पड़ता है। - लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन (Laparoscopic Appendectomy):
यह नया तरीका है जिसमें पेट में तीन-चार छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं। डॉक्टर एक पतली नली (laparoscope) डालते हैं, जिसमें कैमरा और लाइट लगी होती है। इसके जरिये वे पेट के अंदर देख सकते हैं और ऑपरेशन करते हैं।
इसमें अपेंडिक्स को छोटी-छोटी टांकों से बांधकर निकाल दिया जाता है। ये तरीका मरीज के लिए कम दर्दनाक होता है, ठीक होने में जल्दी मदद करता है, और अस्पताल में भी कम दिन रहना पड़ता है।
गर्भावस्था में ऑपरेशन के बाद का ध्यान:
- ऑपरेशन के बाद डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स और दर्द की दवाइयां देंगे।
- आपको आराम करने की सलाह दी जाएगी।
- भारी-भरकम खाना खाने से बचें। हल्का और पौष्टिक खाना खाएं।
- डॉक्टर बताएंगे कि कब आप सामान्य कामकाज फिर से शुरू कर सकते हैं।
- पेट की सर्जरी के निशान की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है ताकि संक्रमण ना हो।
संक्षेप में:
- गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस के लक्षण सामान्य गर्भावस्था की तकलीफों से मिलते-जुलते हो सकते हैं।
- दर्द की जगह भी बदल सकती है क्योंकि गर्भाशय बढ़ता है।
- जल्दी जांच कराना और डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है।
- ऑपरेशन के दो तरीके हैं, लैप्रोस्कोपिक और ओपन, और दोनों सुरक्षित हैं।
- ऑपरेशन के बाद आराम और दवाईयां जरूरी हैं।
- बिना इलाज के अपेंडिसाइटिस खतरनाक हो सकता है, इसलिए देरी मत करें।
सर्जरी के बाद
सर्जरी के बाद डॉक्टर चाहेंगे कि आप कुछ दिन अस्पताल में रहें, जब तक आपका दर्द ठीक से कंट्रोल में न आ जाए और आप थोड़ा पानी या हल्का खाना पी सकें।
अगर आपके पेट में फोड़ा (abscess) था या कोई और दिक्कत हुई हो, तो आपको कुछ दिन और दवाइयां (antibiotics) लेनी पड़ सकती हैं।
ज्यादातर लोग बिना किसी बड़ी दिक्कत के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ परेशानियां भी हो सकती हैं।
अपेंडिसाइटिस के खतरे और बचाव
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़ एंड किडनी डिजीज़ के मुताबिक, अपेंडिसाइटिस पेट दर्द का सबसे बड़ा कारण है जिसके लिए ऑपरेशन करना पड़ता है। करीब 5% लोग ज़िंदगी में कभी न कभी अपेंडिसाइटिस से गुजरते हैं।
यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर 10 से 30 साल के बीच के लोगों को होती है। और मर्दों में महिलाओं की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है।
अपेंडिसाइटिस को पूरी तरह से रोक पाना मुश्किल है, लेकिन अपने खानपान में बदलाव करके इसका खतरा कम किया जा सकता है।
सबसे बढ़िया तरीका है ज्यादा से ज्यादा रेशेदार (fiber) खाना खाना। रेशेदार खाना खाने से कब्ज़ नहीं होती और मल भी ठीक से बाहर निकलता रहता है, जिससे अपेंडिक्स ब्लॉक नहीं होता।
रेशेदार खाने में ये चीजें अच्छी होती हैं:
- रसभरी (raspberries)
- सेब (apples)
- नाशपाती (pears)
- आर्टिचोक (artichokes)
- हरे मटर (green peas)
- ब्रोकली (broccoli)
- मसूर की दाल (lentils)
- काले चने (black beans)
- ब्रान फ्लेक्स (bran flakes)
- जौ (barley)
- दलिया (oatmeal)
- गेहूं की पूरी तरह से पकी हुई स्पेगेटी (whole-wheat spaghetti)
अगर आपके पेट में सूजन या संक्रमण की कोई बीमारी है, तो डॉक्टर की सलाह मानें और समय-समय पर चेकअप कराते रहें। इससे अपेंडिसाइटिस का खतरा कम रहता है।
और अगर आप या आपके घर वाले में से किसी को अपेंडिसाइटिस के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
6. अपेंडिसाइटिस और गैस का फर्क कैसे पहचानें
अपेंडिसाइटिस में दर्द पेट के नीचे दाहिने तरफ होता है, जबकि गैस का दर्द पेट के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अपेंडिसाइटिस में अक्सर बुखार भी हो सकता है।
अगर पेट में तेज दर्द हो, तो ये गैस की वजह से भी हो सकता है, पर ये अपेंडिसाइटिस का भी संकेत हो सकता है, जो बहुत गंभीर होता है।
इसलिए फर्क समझना जरूरी है, क्योंकि सूजी हुई अपेंडिक्स खतरनाक हो सकती है और तुरंत इलाज चाहिए।
अपेंडिसाइटिस तब होता है जब अपेंडिक्स बंद हो जाता है, जिससे सूजन और संक्रमण हो जाता है। इसका इलाज आमतौर पर सर्जरी से अपेंडिक्स निकालना होता है।
गैस का दर्द ज्यादा दिन तक नहीं रहता और इलाज की जरूरत नहीं होती। यह हवा निगलने या पेट में भोजन टूटने के कारण गैस बनने से होता है। गैस निकलने से दर्द में आराम मिल जाता है।
अपेंडिक्स कहाँ होता है?
अपेंडिक्स एक छोटा, ट्यूब जैसा थैला होता है जो बड़ी आंत के नीचे दाहिने तरफ लटकता है। इसका शरीर में कोई खास काम नहीं होता।
7. अपेंडिसाइटिस के आम लक्षण
अपेंडिसाइटिस का सबसे बड़ा लक्षण है अचानक तेज दर्द जो पेट के नीचे दाहिने तरफ शुरू होता है।
कभी-कभी दर्द नाभि (पेट के बीच) के आसपास शुरू होकर दाहिने नीचे चला जाता है। पहले यह दर्द मरोड़ जैसा होता है, लेकिन खांसने, छींकने या हिलने-डुलने पर दर्द तेज हो जाता है। जब तक सर्जरी कर के सूजी हुई अपेंडिक्स नहीं निकाली जाती, दर्द नहीं जाता।
अन्य आम लक्षण हैं:
- मिचली और उल्टी
- हल्का बुखार (आमतौर पर 38 डिग्री सेल्सियस से कम)
- दस्त या कब्ज
- पेट फूलना
- भूख कम लगना
अगर ऐसे लक्षण दिखें तो जल्दी से डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
टूटा हुआ (फटा हुआ) अपेंडिक्स के लक्षण
अगर अपेंडिसाइटिस का सही समय पर इलाज न हो, तो अपेंडिक्स फट सकता है, जो बहुत खतरनाक होता है।
ये फटना कब हो सकता है? जब आपको पहली बार लक्षण महसूस होते हैं, तब से लगभग 48 से 72 घंटे में अपेंडिक्स फट सकता है। कभी-कभी ये और जल्दी भी हो जाता है। इसलिए शुरू के लक्षणों को हल्के में लेना ठीक नहीं।
जब अपेंडिक्स फटता है, तो पहले आपको थोड़ी राहत महसूस हो सकती है क्योंकि अंदर का दबाव कम हो जाता है। लेकिन उसके बाद अपेंडिक्स से बैक्टीरिया पेट में फैल जाते हैं और सूजन व संक्रमण हो जाता है, जिसे पेरिटोनाइटिस कहते हैं।
पेरिटोनाइटिस के लक्षण
पेरिटोनाइटिस एक गंभीर स्थिति है, जिसके लिए तुरंत इलाज जरूरी है। इसके लक्षण होते हैं:
- पूरे पेट में तेज दर्द और सूजन
- छूने या हिलने पर दर्द बढ़ जाना
- मिचली और उल्टी
- पेट फूलना
- दस्त या कब्ज
- गैस निकलने का बहुत मन होना
- बुखार और सर्दी लगना
ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं और तब तक रहेंगे जब तक इलाज न हो।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस की पहचान
अपेंडिसाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बच्चों में यह ज़्यादा होता है, खासकर 10 से 20 साल के बीच।
बच्चे अक्सर तेज पेट दर्द की शिकायत करते हैं। इसके साथ ये बातें भी देखनी चाहिए:
- कमर मोड़कर चलना
- पेट की तरफ लेटकर घुटने अपने छाती से सटाकर सोना
- मिचली आना और उल्टी होना
- पेट को छूने पर नाजुक और दर्द महसूस होना
अगर बच्चों में ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना बहुत जरूरी है।
बच्चों के बारे में याद रखो
बच्चे अक्सर अपने दर्द या तकलीफ को ठीक से बता नहीं पाते, इसलिए ये पता लगाना मुश्किल होता है कि असली दिक्कत क्या है।
गर्भवती महिलाओं में अपेंडिसाइटिस के लक्षण
हालांकि ये बहुत कम होता है, पर गर्भावस्था में भी अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
लक्षण वैसे ही होते हैं जैसे बाकी लोगों में, पर जैसा बच्चा बड़ा होता है और पेट के अंदर जगह बनाता है, वो अपेंडिक्स को ऊपर की तरफ धकेल देता है। इसलिए तेज दर्द पेट के नीचे की जगह से ऊपर, दाहिनी तरफ महसूस हो सकता है।
अगर अपेंडिक्स फट जाए तो मां और बच्चे दोनों के लिए ये बहुत खतरनाक हो सकता है।
गैस दर्द के लक्षण और निशान
गैस दर्द पेट में गांठ या मरोड़ जैसा लग सकता है, और आपको ऐसा लग सकता है जैसे गैस आपके अंदर आंतों में चल रही हो।
अपेंडिसाइटिस के मुकाबले, जो आमतौर पर पेट के नीचे दाहिनी तरफ दर्द करता है, गैस का दर्द कहीं भी पेट में या छाती तक हो सकता है।
गैस का दर्द आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहता है और खुद-ब-खुद चला जाता है। अगर आपको डकार आने या गैस निकलने से आराम मिलता है, तो ये सामान्य गैस का दर्द है।
पर अगर गैस का दर्द कई घंटे तक रहता है, तो ये कुछ गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है, जैसे कब्ज की वजह से आंतों में रुकावट (जिससे गैस और मल नहीं निकल पाता) या आंतों की मांसपेशियों का सही से काम न करना। ये बातें कुछ पाचन संबंधी बीमारियों में हो सकती हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए
अगर अचानक से आपके पेट के नीचे दाहिनी तरफ तेज दर्द हो जाए, तो साथ में बुखार, मिचली, या पाचन में दिक्कत जैसी और कोई समस्या भी हो, तो ध्यान दें।
अगर दर्द कम नहीं होता या और ज्यादा बढ़ जाए, तो तुरंत अस्पताल या आपातकालीन वार्ड में जाएं। अगर ये अपेंडिसाइटिस हो, तो जल्दी से इलाज जरूरी होता है।
अपेंडिसाइटिस की जांच कैसे होती है
डॉक्टर सबसे पहले आपको देखकर और पेट के दर्द वाले हिस्से को धीरे-धीरे दबाकर चेक करेंगे।
अगर दबाने पर दर्द बढ़ता है और दबाव छोड़ते ही भी दर्द रहता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि अपेंडिक्स के आसपास सूजन हो गई है।
डॉक्टर यह भी देखेंगे कि क्या आपकी पेट की मांसपेशियां खुद-ब-खुद कड़ी हो रही हैं, जिसे “गार्डिंग” कहते हैं। ये तब होता है जब पेट के मासपेशियां दबाव से पहले ही टाइट हो जाती हैं, जिससे सूजन का पता चलता है।
डॉक्टर आपके हाल के लक्षण और पुरानी बीमारी के बारे में भी पूछेंगे ताकि सही पता चल सके।
डॉक्टर क्या-क्या पूछ सकते हैं
डॉक्टर से मिलने पर आपको अपनी तकलीफ और इतिहास के बारे में कुछ सवालों के जवाब देने होंगे, जैसे:
- आपका दर्द कब शुरू हुआ?
- दर्द कैसा है? तेज, मंद, मरोड़ जैसा या कुछ और?
- क्या आपको पहले भी ऐसा दर्द हुआ है?
- क्या दर्द कभी आता है और चला जाता है या हमेशा रहता है?
- आपने पिछले 24 घंटों में क्या खाया है?
- क्या आपने कोई ऐसा काम किया है जिससे मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन हो सकती है?
जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट हो सकते हैं
जब आपको पेट में दाहिनी तरफ दर्द हो और डॉक्टर को शक हो कि ये अपेंडिसाइटिस हो सकता है, तो वो कुछ टेस्ट करवाएंगे ताकि सही पता चले।
सबसे पहले, वो आपका खून चेक करेंगे। इसमें खासकर WBC यानी सफेद खून के कणों की गिनती देखी जाती है। जब शरीर में कहीं संक्रमण होता है, तो ये सफेद खून के कण बढ़ जाते हैं। तो अगर ये ज्यादा मिले, तो समझो कि कहीं सूजन या इंफेक्शन हो सकता है।
इसके साथ ही, आपको पेशाब का टेस्ट (यूरीन टेस्ट) भी करवाना पड़ सकता है। इससे पता चलता है कि पेशाब की नली या किडनी में कोई संक्रमण तो नहीं, क्योंकि ये भी पेट दर्द का कारण बन सकते हैं।
फिर डॉक्टर आपका पेट का अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन करवा सकते हैं। ये मशीन आपकी पेट की अंदरूनी तस्वीरें निकालती हैं। इससे ये पता चलता है कि अपेंडिक्स सूजा है या नहीं, कहीं पांव या घाव तो नहीं है। ये जांच बहुत मददगार होती है क्योंकि ये साफ साफ दिखाती है कि समस्या कहाँ है।
कभी-कभी स्कैन में साफ नहीं दिखता कि अपेंडिक्स सूजा है या नहीं, लेकिन ये पता चलता है कि कहीं पेट में खाना या गैस कहीं फंसी है या आंतों में सूजन तो नहीं। इसे इलियस कहते हैं।

अपेंडिसाइटिस का इलाज
जब डॉक्टर को पूरा यकीन हो जाए कि अपेंडिसाइटिस है, तो इलाज जल्दी शुरू कर दिया जाता है क्योंकि ये बीमारी जल्दी बिगड़ सकती है। सबसे ज़रूरी इलाज है सर्जरी, जिसमें अपेंडिक्स को हटा दिया जाता है। ये सर्जरी दो तरीके से हो सकती है:
1. खुली सर्जरी (Open Surgery)
इसमें डॉक्टर आपके पेट के निचले दाहिने हिस्से में एक बड़ा चीरा लगाते हैं। उस चीरे से वे अपेंडिक्स निकाल देते हैं।
ये तरीका ज़्यादातर तब इस्तेमाल होता है जब अपेंडिक्स पहले ही फट चुका हो या उसके आसपास कोई फोड़ा (Abscess) बन गया हो। इस सर्जरी में डॉक्टर पूरे प्रभावित हिस्से को साफ करते हैं ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
खुली सर्जरी में थोड़ा ज्यादा दर्द हो सकता है और ठीक होने में थोड़ा ज्यादा समय भी लग सकता है।
2. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery)
इसमें डॉक्टर छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं, जो चारों ओर छोटे-छोटे छेद जैसे होते हैं।
पहले एक छेद से पेट में गैस भरी जाती है ताकि अंदर काम करने के लिए जगह बन जाए।
फिर एक पतली ट्यूब जिसमें कैमरा लगा होता है (लेप्रोस्कोप), पेट में डाल दी जाती है। इस कैमरे से डॉक्टर स्क्रीन पर अंदर की हालत देख पाते हैं।
बाकी के छोटे-छोटे छेदों से छोटे औजार डालकर अपेंडिक्स को काटकर निकाल देते हैं।
इस तरीके से सर्जरी में दर्द कम होता है, घाव जल्दी भरते हैं और आप जल्दी ठीक हो जाते हैं। इसलिए ये तरीका आजकल ज्यादा पसंद किया जाता है।
ऑपरेशन के बाद क्या होता है?
सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ दिनों तक अस्पताल में रख सकते हैं ताकि देखें कि दर्द ठीक हो रहा है या नहीं और आप धीरे-धीरे पानी और हल्का खाना खा सकें।
अगर ऑपरेशन से पहले या बाद में कहीं फोड़ा था या कोई जटिलता हुई, तो आपको कुछ दिन एंटीबायोटिक्स (दवाईयां जो संक्रमण से लड़ती हैं) भी लेने पड़ सकते हैं।
अधिकतर लोग इस सर्जरी के बाद पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और वापस अपने काम पर लौट जाते हैं।
बचाव के उपाय
हालांकि अपेंडिसाइटिस को पूरी तरह से रोक पाना मुश्किल है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर जोखिम कम किया जा सकता है।
सबसे बड़ी वजह जो अपेंडिसाइटिस होती है, वो होती है कब्ज़ या मल का पेट में फंस जाना। इसलिए रेशेदार खाना (फाइबर युक्त) ज्यादा खाना चाहिए।
जैसे कि:
- ताजा फल (सेब, नाशपाती, रसभरी)
- हरी सब्जियां (मटर, ब्रोकली)
- दालें और बीन्स
- साबुत अनाज जैसे जौ, दलिया, और ब्रान
- साबुत गेहूं की चीजें (जैसे साबुत गेहूं की रोटी या पास्ता)
फाइबर खाने से कब्ज़ दूर रहती है और पेट साफ रहता है, जिससे मल फंसने का खतरा कम हो जाता है।
अगर आपके पेट में कोई पुरानी बीमारी है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर उसका इलाज कराएं ताकि अपेंडिसाइटिस का खतरा घटे।
अगर आप या आपके घर में कोई व्यक्ति पेट में तेज दर्द महसूस करे, खासकर दाहिनी तरफ, तो तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए। देर करने से अपेंडिक्स फट सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।
गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस का इलाज
गर्भावस्था के दौरान अपेंडिक्स निकालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि पेट में बच्चे की वजह से जगह कम हो जाती है। लेकिन 2016 की एक रिसर्च में पाया गया कि लेप्रोस्कोपिक अपेंडेक्टॉमी (जिसमें छोटे-छोटे चीरे लगाकर सर्जरी होती है) गर्भवती महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित होती है।
इसमें शरीर पर कम दबाव पड़ता है क्योंकि ये सर्जरी कम चोट वाली होती है और जल्दी ठीक होने में मदद करती है। इसलिए डॉक्टर आजकल ज़्यादातर गर्भवती औरतों के लिए यही तरीका अपनाते हैं।
गैस की समस्या और घरेलू उपाय
गैस की तकलीफ ज़्यादातर हमारे खाने-पीने की वजह से होती है। इसलिए अगर आप ध्यान से देखें कि कौन-कौन से खाने की चीजें गैस बढ़ाती हैं, तो आप उसे कम करके आराम पा सकते हैं।
अगर आप एक खाना-पेटी डायरी बनाएं, जिसमें आप लिखें कि आपने क्या-क्या खाया और कब गैस की समस्या हुई, तो इससे पता चल जाएगा कि कौन-सी चीज़ से गैस बनती है।
गैस बढ़ाने वाले आम खाने के सामान:
- सेम और दालें
- दूध और दूध से बनी चीजें (दही, पनीर)
- सोडा और फिज़ी ड्रिंक्स
- बहुत ज्यादा फाइबर वाले खाने
- तेल-चर्बी वाला खाना
गैस की तकलीफ से राहत पाने के घरेलू नुस्खे:
- पुदीना की चाय पीना, इससे पेट ठंडा होता है और गैस कम बनती है।
- कैमोमाइल चाय भी आराम देती है और पेट की सूजन घटाती है।
- एक गिलास पानी में सेब का सिरका मिलाकर पीना (थोड़ा-थोड़ा), इससे भी गैस कम हो सकती है।
दवाइयाँ जो बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलती हैं (ओवर-द-काउंटर):
- सिमेथिकोन जैसी दवाईयाँ गैस के बुलबुले तोड़कर आराम देती हैं। ये Gas-X या Mylanta जैसे ब्रांड में मिलती हैं।
- अगर आपको दूध पीने से गैस बनती है (लैक्टोज़ इन्टॉलरेंस), तो लैक्टेस सप्लीमेंट्स लें, जो दूध को पचाने में मदद करते हैं।
हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे टहलना भी गैस निकलने में मदद करता है।
अगर गैस की तकलीफ बार-बार आती है या लंबे समय तक ठीक नहीं होती, तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है, क्योंकि ये किसी बड़ी समस्या का संकेत भी हो सकता है।
12. पेट दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं
गैस और अपेंडिसाइटिस तो पेट दर्द के कारणों में से सिर्फ दो हैं। पेट दर्द की वजह कई और भी चीज़ें हो सकती हैं, जैसे:
- पेशाब की बीमारी (यूटीआई)
- किडनी में पथरी
- पित्त की पथरी (गॉलस्टोन)
- पेट की सूजन या संक्रमण (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) जो वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होती है
- पेट के अल्सर (पेप्टिक अल्सर)
- औरतों में ओवरी में सिस्ट (गुच्छे)
- अंडोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) के समय होने वाला दर्द
- गर्भाशय के बाहर गर्भ (एक्टोपिक प्रेगनेंसी)
- खाने से एलर्जी होना
- खाना खराब होने से ज़हर लगना (फूड पॉइज़निंग)
आखिरी बात और जरूरी बातें
गैस और अपेंडिसाइटिस दोनों की दर्द की शुरुआत एक जैसी लग सकती है, पर असली फर्क बाकी लक्षणों से पता चलता है।
अगर आपके पेट के नीचे दाहिनी तरफ दर्द है और साथ में बुखार, उल्टी, या भूख कम लगना जैसे लक्षण भी हैं, तो ये अपेंडिसाइटिस हो सकता है।
लेकिन अगर दर्द खुद-ब-खुद चला जाता है और कोई और लक्षण नहीं हैं, तो ज़्यादातर ये गैस ही होती है।
अगर आपको शक हो कि अपेंडिसाइटिस है, तो देर न करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। क्योंकि अगर अपेंडिक्स फट जाए, तो ये बहुत बड़ा खतरा हो सकता है।
13. दाहिने कूल्हे और नीचे पेट में दर्द के आम कारण
कभी-कभी कूल्हे के पास या नीचे पेट में दर्द हो सकता है। ये दर्द कभी-कभी गैस, अपच या किसी छोटी-मोटी परेशानी की वजह से होता है और खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। लेकिन अगर दर्द बहुत तेज हो या साथ में और कोई दिक्कत हो, तो ये किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
दाहिने कूल्हे के पास और नीचे पेट में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। ये दर्द कभी-कभी मसालेदार खाना खाने के बाद भी हो जाता है, या फिर ज्यादा गंभीर कारण जैसे अपेंडिसाइटिस भी हो सकता है, जिसके लिए ऑपरेशन तक करना पड़ सकता है।
दर्द के साथ अगर और भी लक्षण हों, तो समझना आसान हो जाता है कि दर्द क्यों हो रहा है और डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है या नहीं।
चलिए जानते हैं नीचे दाहिने पेट में दर्द के 19 संभावित कारण, डॉक्टर कैसे पहचान करते हैं, और इलाज क्या होता है।
आम कारण जो अक्सर होते हैं
नीचे दाहिने पेट में दर्द के जो कारण होते हैं, उनमें से ज़्यादातर अस्थायी होते हैं और आराम या दवा से ठीक हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी दर्द ज्यादा देर तक रहता है और इलाज की जरूरत पड़ती है।
1. अपच (Indigestion)
जब खाना ठीक से पच नहीं पाता, तो पेट में दर्द, भारीपन या मिचली जैसा महसूस हो सकता है। ये तब होता है जब आप:
- ज़्यादा या जल्दी-जल्दी खाना खा लेते हो
- ज्यादा तला-भुना या मसालेदार खाना खाते हो
- ज़्यादा चाय, शराब, चॉकलेट या फिज़ी ड्रिंक पीते हो
- चिंता में होते हो
- कोई दवा जैसे एंटीबायोटिक्स या दर्द की गोलियाँ लेते हो
2. गैस (Gas)
गैस जब आपके पेट और आंतों में बनती है और जगह ढूंढ़ती है तो पेट के नीचे दाहिने हिस्से में दर्द हो सकता है। ये आमतौर पर तब होता है जब आपकी आंतों में बैक्टीरिया खाना पचा रहे होते हैं या जब आप खाना-पीना करते समय हवा निगल लेते हो।
3. कब्ज (Constipation)
कब्ज का मतलब है बाथरूम जाने में तकलीफ़ होना या बहुत कम बार जाना। इससे पेट में दर्द हो सकता है और ऐसा लग सकता है जैसे कुछ नीचे अटक गया हो।
4. मांसपेशियों का खिंचाव और चोट (Muscle Pull and Strain)
जब मांसपेशी ज़्यादा खिंच जाती है या फट जाती है, तो इसे खिंचाव या चोट कहते हैं। ये अक्सर खेल-कूद या किसी हादसे में होता है। अगर पेट की मांसपेशी में ये हो तो तेज दर्द होगा, साथ में सूजन, नीला-पीला पड़ना और अकड़न भी हो सकती है। ऐसे में हिलना-डुलना, मुड़ना, या सीधे खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है।
5. मांसपेशी का ऐंठन (Muscle Spasm)
जब मांसपेशी अचानक और तेज़ दर्द के साथ सिकुड़ जाती है, तो उसे ऐंठन कहते हैं। ये बिना किसी चेतावनी के हो सकता है। कभी-कभी ये बस छोटा-सा झटका जैसा होता है, और कभी-कभी देर तक दर्द देता है। पेट की मांसपेशियों में ऐंठन तब होती है जब आप ज़्यादा मेहनत कर लेते हो, प्यासे होते हो, या शरीर में पोटैशियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम जैसे खनिजों की कमी हो जाती है।
6. गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Gastroenteritis)
गैस्ट्रोएंटेराइटिस मतलब पेट और आंतों की सूजन, जो बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी की वजह से हो सकती है। इससे पेट में निचले हिस्से में दर्द, ऐंठन, बुखार और पसीना ज्यादा आना हो सकता है।
7. गैस्ट्राइटिस (Gastritis)
गैस्ट्राइटिस में आपके पेट की दीवार (स्टमक लाइनिंग) में सूजन आ जाती है। ये पेट की कमजोरी या बैक्टीरिया (जैसे हेलिकोबैक्टर पाइलोरी) की वजह से हो सकता है। इससे पेट के ऊपर और नीचे दोनों तरफ दर्द हो सकता है, साथ में मिचली और उल्टी भी आ सकती है।
गंभीर कारण (Serious Causes)
नीचे दाहिने पेट के पास कूल्हे के पास दर्द कभी-कभी बहुत गंभीर भी हो सकता है, और इसके लिए ऑपरेशन या लंबे इलाज की जरूरत पड़ती है।
8. अपेंडिसाइटिस (Appendicitis)
अपेंडिक्स आपकी बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा थैली जैसा होता है। जब इसमें संक्रमण हो जाता है और सूजन आती है, तो अपेंडिसाइटिस होता है। अगर इसे ठीक से इलाज न मिले, तो ये फट भी सकता है और पूरे पेट में संक्रमण फैल सकता है। अपेंडिसाइटिस में नीचे दाहिने पेट में दर्द होता है, साथ में उल्टी, पेट फूलना, और बुखार भी आ सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाना बहुत जरूरी होता है।
9. किडनी स्टोन (Kidney Stones)
किडनी स्टोन यानी गुर्दे में बनने वाले छोटे-छोटे कठोर कण। ये कैल्शियम या यूरिक एसिड जैसे पदार्थों से बनते हैं। ये पेट के साइड में तेज दर्द करते हैं, पेशाब में खून आ सकता है और पेशाब करते वक्त जलन होती है।
10. किडनी का संक्रमण (Kidney Infection)
किडनी का संक्रमण अक्सर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) से शुरू होता है। इसके साथ पेट में दर्द, पीठ में दर्द, बुखार, ठंड लगना, और पेशाब में जलन जैसी समस्याएं होती हैं।
11. इन्फ्लेमेटरी बॉवल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease – IBD)
IBD लंबे समय तक रहने वाली आंतों की बीमारियाँ होती हैं, जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोन की बीमारी। ये व्यक्ति की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर असर डालती हैं। इसके लक्षण में पेट दर्द, दस्त, और पेट फूलना आम है।
12. इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम (IBS)
IBS एक ऐसी हालत है जिसमें आंतें ठीक से काम नहीं करतीं, लेकिन इसमें सूजन या नुकसान नहीं होता। डॉक्टर पूरी तरह से ये नहीं समझ पाते कि ये क्यों होता है। ज्यादा तनाव या कुछ खाने-पीने की चीजें, जैसे दूध, गेहूं या खट्टे फल, इसके लक्षण बढ़ा सकते हैं।
IBS के लक्षण होते हैं:
- निचले पेट में दर्द
- दस्त (डायरिया)
- बहुत ज्यादा गैस बनना
- मल में चिपचिपा पदार्थ (म्यूकस) आना
13. हर्निया (Hernia)
हर्निया तब होता है जब कोई अंग या हिस्सा अपने सामान्य जगह से बाहर निकल कर मांसपेशी या टिशू के बीच में धकला देता है। ये दर्दनाक हो सकता है, खासकर जब भारी वजन उठाओ या ज़ोर लगाओ। इससे सूजन भी हो जाती है।
इंगुइनल हर्निया खासतौर पर जांघ के पास होता है। ये पुरुषों में ज़्यादा आम है, लेकिन महिलाओं को भी हो सकता है।
लक्षण:
- जांघ के एक तरफ तेज़ दर्द, खासकर खांसी करने, कसरत करने या झुकने पर।
महिलाओं से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं (Women’s Health Concerns)
अगर आप महिला हैं, तो निचले दाहिने पेट के दर्द के ये कारण हो सकते हैं:
14. मासिक धर्म का दर्द (Menstrual Pain)
पीरियड्स के पहले या दौरान पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होती है। कभी-कभी दर्द पैर तक फैल सकता है। हल्की ऐंठन सामान्य है, लेकिन अगर दर्द बहुत तेज़ हो और आपको काम या स्कूल जाने से रोक दे, तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
15. ओवरी का सिस्ट (Ovarian Cyst)
ओवरी पर एक छोटा थैली जैसा सिस्ट बन जाता है जिसमें पानी या द्रव भरा होता है। इससे पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है, साथ में पीठ दर्द और संभोग के दौरान भी दर्द हो सकता है।
16. पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID)
PID एक संक्रमण है जो महिलाओं के प्रजनन अंगों में सूजन करता है, अक्सर सेक्स से फैलने वाले संक्रमण (STI) या किसी अन्य संक्रमण की वजह से।
लक्षण:
- पेट में दर्द
- संभोग के दौरान दर्द
- पेशाब करते समय जलन
17. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
ये तब होता है जब गर्भाशय के अंदर की लाइनिंग जैसी टिशू ओवरी, आंत या पेल्विस के दूसरे हिस्सों में बढ़ने लगती है। इससे पेल्विक इलाके में दर्द, पीरियड्स में बहुत दर्द और मल त्याग के वक्त दर्द हो सकता है।
18. एक्सटोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy)
जब अंडाणु गर्भाशय के बाहर, ज़्यादातर फैलोपियन ट्यूब में, अटच हो जाता है तो इसे एक्सटोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। ये खतरनाक हो सकती है और तेज़ दर्द पैदा करती है। दर्द पेट के साइड और पेल्विक क्षेत्र में होता है।
पुरुषों के स्वास्थ्य संबंधी बातें (Men’s Health Concerns)
अगर आप पुरुष हैं, तो निचले दाहिने पेट में दर्द का एक और कारण हो सकता है:
19. टेस्टिकुलर टॉर्शन (Testicular Torsion)
टेस्टिकुलर टॉर्शन तब होता है जब आपके अंडकोष (स्क्रोटम) में ब्लड सप्लाई करने वाली ट्यूब, जिसे स्पर्मेटिक कॉर्ड कहते हैं, मटक जाती है या मड़ जाती है। इससे अंडकोष और निचले पेट में तेज दर्द होता है। साथ ही, स्क्रोटम सूज जाता है, और आपको मतली या बुखार भी हो सकता है।
यह एक आपातकालीन स्थिति है और तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए क्योंकि इससे अंडकोष को नुकसान हो सकता है।
निचले दाहिने पेट के दर्द का कारण पहचानना (Identifying the Cause of Lower Right Abdominal Pain)
डॉक्टर आपको सही इलाज देने के लिए आपके लक्षण, बीमारी का इतिहास, और शारीरिक जांच करेगा।
- डॉक्टर आपके पेट को धीरे से दबाकर देखेंगे कि कहीं सूजन या दर्द तो नहीं है।
- इसके बाद ज़रूरत पड़ने पर कुछ खास टेस्ट भी कराए जा सकते हैं, जैसे:
मुख्य जांचें:
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound):
ये एक तरीका है जिसमें ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल कर शरीर के अंदर की तस्वीर ली जाती है। इससे ट्यूमर, गर्भाशय या अंडाशय की जांच, पुरुषों में प्रोस्टेट की जांच और अन्य समस्याओं का पता चलता है। - सीटी स्कैन (CT Scan):
ये एक्स-रे की तरह होता है, पर यह शरीर के अंदर से अलग-अलग कोणों से तस्वीरें लेकर ज़्यादा साफ और विस्तृत चित्र बनाता है। - एमआरआई स्कैन (MRI Scan):
इसमें चुंबक और रेडियो तरंगों का उपयोग कर शरीर के अंगों और नरम टिशू की अच्छी तस्वीरें ली जाती हैं। - एंडोस्कोपी (Endoscopy):
ये एक लंबी, पतली नली होती है जो आपके गले से नीचे जाकर पेट और आंतों की जांच करती है, खासकर संक्रमण या घाव देखने के लिए। - रक्त परीक्षण (Blood Tests):
खून के टेस्ट से आपके शरीर में संक्रमण या सूजन का पता चलता है, जैसे सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ना।
विशेषज्ञों से सलाह (Specialists to Consult)
अगर जरूरत पड़े, तो डॉक्टर आपको किसी खास विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं, जैसे:
- गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट (Gastroenterologist): पाचन तंत्र की बीमारी देखता है।
- यूरोलॉजिस्ट (Urologist): पेशाब और पुरुष प्रजनन प्रणाली की समस्या देखता है।
- ऑब्स्टेट्रिशियन-गाइनेकोलॉजिस्ट (Obstetrician-Gynecologist): महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं देखते हैं।
- ऑर्थोपेडिक डॉक्टर (Orthopedic Doctor): मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ की बीमारियां देखते हैं।
सलाह:
अगर आपको निचले दाहिने पेट में दर्द हो रहा है, खासकर तेज़ या लगातार दर्द, बुखार, उल्टी या पेशाब में तकलीफ के साथ, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। सही पहचान और समय पर इलाज बहुत ज़रूरी है।
दाहिने नीचे पेट में दर्द का इलाज — पूरे गांव की भाषा में समझाइश
दाहिने नीचे पेट में दर्द बहुत लोगों को होता है, पर इसका कारण अलग-अलग हो सकता है। इसका सही इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि दर्द क्यों हुआ है। कुछ दिक्कतें खुद-ब-खुद ठीक हो जाती हैं, जबकि कुछ में दवा या ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है।
1. समय देना (आराम करना)
बहुत बार पेट दर्द ऐसा होता है जो खुद ही ठीक हो जाता है। जैसे:
- इंडाइजेशन (खाना पचाने में दिक्कत): जब ज्यादा भारी या तैलीय खाना खा लेते हैं या जल्दी-जल्दी खाते हैं तो पेट में हल्का दर्द या भारीपन हो जाता है। थोड़ा आराम करने से ठीक हो जाता है।
- गैस: पेट में हवा भर जाती है, जिससे पेट फूलता है और दर्द होता है। ये दर्द ज्यादा दिन तक नहीं रहता।
- वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस: जब पेट में वायरस लग जाए तो दस्त, उल्टी और दर्द हो सकता है। कुछ दिन आराम, पानी पीना और हल्का खाना खाने से ठीक हो जाता है।
- मांसपेशियों की चोट या खिंचाव: अगर पेट या कمر की मांसपेशियां ज्यादा खिंच जाएं या चोट लग जाए तो दर्द होता है, जो आराम से ठीक हो जाता है।
- मासिक धर्म का दर्द: महिलाएं अक्सर मासिक धर्म के समय पेट में दर्द महसूस करती हैं, जो कुछ दिन में खुद ही ठीक हो जाता है।
2. खाने-पीने में बदलाव
अगर बार-बार पेट दर्द या गैस की समस्या हो रही है तो खाने-पीने में बदलाव करना जरूरी है। कुछ चीजें पेट में गैस बढ़ाती हैं जैसे चने, दही, कोल्ड ड्रिंक, तैलीय या ज्यादा मसालेदार खाना। ऐसे में:
- भारी और तैलीय भोजन से बचो।
- ज्यादा ताजे फल, सब्जी और पानी पियो।
- अगर पेट की पुरानी बीमारी है जैसे आईबीडी या आईबीएस, तो डॉक्टर की सलाह से ही खाना खाओ।
3. दवाइयां (एंटीबायोटिक्स)
अगर पेट में संक्रमण बैक्टीरिया की वजह से हो जैसे अपेंडिसाइटिस (पेट के नीचे दाहिनी तरफ छोटा पाउच सूजना) या महिलाओं में पीआईडी (योनि के संक्रमण), तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देंगे। ये संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं।
4. ऑपरेशन या अन्य इलाज
कुछ दिक्कतें ऐसी होती हैं जिनका इलाज ऑपरेशन या खास इलाज से होता है:
- अपेंडिसाइटिस: अगर appendix सूज जाए और दर्द हो, तो उसे निकालना पड़ता है।
- ओवेरियन सिस्ट: महिलाओं में अंडाशय पर फोड़ा बनना, जिससे दर्द होता है, कभी-कभी ऑपरेशन करना पड़ता है।
- टेस्टिकुलर टॉर्शन: पुरुषों में अंडकोष में मरोड़ आना, जो दर्दनाक होता है, तुरंत ऑपरेशन चाहिए।
- किडनी स्टोन (पथरी): अगर पथरी बड़ी हो जाए तो इसे तोड़ने के लिए लेजर या शॉक वेव थेरेपी करनी पड़ती है।
5. फिजिकल थेरेपी
अगर मांसपेशियों में चोट या खिंचाव हो गया है तो फिजिकल थेरेपी से दर्द कम होता है और शरीर फिर से चलने-फिरने लायक हो जाता है। जैसे मसाज, हल्की एक्सरसाइज और गर्म पानी की सिकाई।
अंतिम बात (टेकअवे)
- दाहिने नीचे पेट का दर्द कभी-कभी जानलेवा बीमारी की निशानी हो सकता है, जैसे अपेंडिसाइटिस।
- पर ज़्यादातर यह हल्का दर्द होता है जो आराम और सही खान-पान से ठीक हो जाता है।
- अपने सारे लक्षणों पर ध्यान दो — कब दर्द शुरू हुआ, क्या और भी लक्षण हैं (बुखार, उल्टी, दस्त) तो जल्दी डॉक्टर से दिखाओ।
- खुद दवाई न लेना और बिना जांच के ऑपरेशन से बचना सही होगा।
तो, अगर पेट में दाहिने नीचे कोई भी दर्द हो, तो आराम करो, खाना-पीना ठीक रखो और अगर दर्द ज़्यादा हो या बढ़ता जाए, तो डॉक्टर के पास जरूर जाओ।
समझिए रात को पेट दर्द क्यों होता है?
रात में पेट में दर्द होना कई कारणों से हो सकता है, जैसे गैस, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS), या डायवर्टीकुलाइटिस। कभी-कभी अचानक पेट में तेज दर्द होना एक इमरजेंसी हो सकती है, जिसके लिए तुरंत डॉक्टर की जरूरत होती है।
रात को पेट दर्द के साथ उठना कोई भी पसंद नहीं करता, लेकिन ये ज्यादा आम है जितना लगता है। साथ में अगर और कोई लक्षण भी दिखें तो उसकी मदद से हम पता लगा सकते हैं कि दर्द का असली कारण क्या है और सही इलाज किया जा सके।
रात को पेट दर्द होने के संभव कारण:
- गैस (Gas)
ज्यादातर लोगों को गैस की समस्या होती है, जो पेट या ऊपरी पेट में तेज और चुभने वाले दर्द का कारण बनती है। - इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS)
IBS हर किसी को अलग तरीके से प्रभावित करता है। इसके साथ पेट दर्द के अलावा ये लक्षण हो सकते हैं:
- पेट फूलना (Bloating)
- गैस
- दस्त
- कब्ज
- पेट का अल्सर (Stomach Ulcer)
पेट के अल्सर में जलन जैसी दर्द होती है। खासकर जब पेट भरा होता है या एसिड ज्यादा होता है तो दर्द बढ़ जाता है। इसलिए दर्द आमतौर पर खाने के बीच में और रात को ज्यादा होता है। - डायवर्टीकुलाइटिस (Diverticulitis)
यह तब होता है जब पेट की अंदर की लाइनिंग में छोटे-छोटे थैले बन जाते हैं। पेट दर्द के साथ-साथ ये लक्षण भी हो सकते हैं:
- मतली (Nausea)
- बुखार (Fever)
- पेट खराब होना (Upset stomach)
- मल त्याग में बदलाव (Changes in bowel habits)
- एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux)
अगर आप ज्यादा खाते-पीते हैं, खाने के तुरंत बाद सो जाते हैं, या ऐसा खाना खाते हैं जो एसिड रिफ्लक्स बढ़ाता है, तो यह चेस्ट या पेट में जलन जैसा दर्द दे सकता है।
नोट: अगर रात को पेट दर्द अचानक बहुत तेज हो या साथ में बुखार, उल्टी, खून आना जैसे लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कुछ खास खाने-पीने की चीजें और उनका असर
तेज मसालेदार, टमाटर वाले, या मीठे खाने-पीने से एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) हो सकता है।
अगर ये एसिड रिफ्लक्स हफ्ते में एक से ज्यादा बार हो, तो इससे खाना नली (esophagus) में सूजन, जख्म (ulcers), और कभी-कभी रक्तस्राव (bleeding) भी हो सकता है। इसका मतलब ये है कि बार-बार एसिड रिफ्लक्स से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
पित्त की पथरी (Gallstones)
पित्ताशय (gallbladder) में पत्थर बन सकते हैं, जिन्हें पित्त की पथरी कहते हैं। जब ये पथरी पित्त नली को बंद कर देती है तो पेट में दर्द होता है। ये दर्द खासकर तब ज्यादा होता है जब आप ज्यादा भारी या तैलीय खाना खाते हैं, जैसे रात के खाने में। इसलिए पित्त की पथरी का दर्द रात को या सोते वक्त हो सकता है।
अचानक और तेज दर्द के कारण (Acute Conditions)
कभी-कभी पेट में अचानक तेज दर्द भी हो सकता है, जो तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे कुछ कारण हैं:
- किडनी स्टोन (Kidney Stones)
जब किडनी में बनी पथरी मूत्र नली (ureter) में फंस जाती है, तो तेज और छुरा जैसा दर्द पीठ से पेट की तरफ फैल सकता है। दर्द की जगह और तीव्रता तब बदलती रहती है जब पथरी मूत्र नली से गुजरती है। - वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Viral Gastroenteritis)
यह एक वायरल इंफेक्शन है जो पेट और आंतों में सूजन पैदा करता है। इसके साथ उल्टी, दस्त, मतली, और बुखार हो सकता है। यह वायरस किसी और से संक्रमित होकर आपके शरीर में आ जाता है। - फूड पॉइज़निंग (Food Poisoning)
खराब या संक्रमित खाना खाने से फूड पॉइज़निंग हो सकती है। इसमें उल्टी, मतली, दस्त और तेज पेट दर्द होता है। ये लक्षण आमतौर पर खाना खाने के कुछ घंटे बाद शुरू हो जाते हैं। - हार्ट अटैक या कार्डियक इवेंट (Cardiac Event)
यह दुर्लभ होता है, लेकिन दिल की कुछ बीमारियां जैसे मायोकार्डियल इस्कीमिया (जब दिल तक खून सही से नहीं पहुंच पाता) पेट दर्द भी पैदा कर सकती हैं।
साथ ही, आम दिल के लक्षण जैसे गर्दन या जबड़े में दर्द, तेज धड़कन, और सांस लेने में दिक्कत के साथ पेट दर्द भी हो सकता है।
क्या करना चाहिए?
अगर रात को पेट में दर्द अचानक बहुत तेज हो, या साथ में उल्टी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, या तेज कमजोरी हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ये ऐसे संकेत हैं जिनका इंतजार करना ठीक नहीं होता।
रात को पेट दर्द हो तो कैसे संभालें और इलाज करें — गाँव की भाषा में पूरी बात
जब रात में पेट दर्द होता है, तो बड़ा तकलीफ देता है। कई बार तो नींद भी खुल जाती है। पर ये जानना ज़रूरी है कि ये दर्द क्यों हो रहा है, तभी सही इलाज किया जा सकता है।
पेट दर्द के इलाज का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि दर्द की वजह क्या है।
जैसे:
- अगर एसिड ज्यादा बनने की वजह से हो रहा है तो हम दवा (एंटासिड) लेकर आराम पा सकते हैं। ये दवा पेट की एसिड को कम कर देती है।
- अगर गैस बन रही है और दर्द दे रही है, तो जब गैस बाहर निकल जाएगी, दर्द अपने आप कम हो जाएगा।
पर अगर पेट दर्द बार-बार हो रहा हो, या दवा से आराम न मिले, तो डॉक्टर के पास जाना ही सही होता है।
कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी होता है?
अगर हफ्ते में एक-दो बार से ज़्यादा पेट में दर्द हो, तो ये किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है। आप दुकान से मिलने वाली दवाई खा के देख सकते हैं जैसे कि एंटासिड, दर्द की गोली आदि।
पर ध्यान रहे:
- अगर दवा खाने के बाद भी दर्द ठीक न हो,
- या दर्द कई दिन तक बना रहे,
- या दर्द के साथ बुखार, उल्टी, या पेट में सूजन हो,
तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
कई बार छोटी-छोटी दिक्कतें बड़ी बीमारी में बदल सकती हैं, इसलिए इलाज जल्दी कराना फायदेमंद होता है।
अब के लिए क्या करें, जब रात को पेट में दर्द हो
- डायरी बनाओ:
जो भी तुम खाते हो, दिन भर के जो भी लक्षण होते हैं, और सुबह उठते वक्त कैसा महसूस होता है, इसे एक नोटबुक में लिखते जाओ।
ऐसा करने से जब तुम डॉक्टर के पास जाओगे, तो वो जल्दी और सही बीमारी समझ पाएगा। अक्सर नींद के बीच में हम जो महसूस करते हैं, उसे भूल जाते हैं। डायरी से याद रखने में मदद मिलती है। - पहली दवाई खाओ:
दुकान से मिलने वाली एंटासिड या पेट की दवा लेकर देखो। कभी-कभी ये दवाई पेट दर्द में बहुत आराम देती है।
अगर दर्द कम न हो तो अगला कदम सोचो। - जीवनशैली में बदलाव करो:
- ज्यादा तैलीय, मसालेदार या भारी खाना खाने से बचो, खासकर रात को।
- खाना खाने के तुरंत बाद सोने नहीं जाना चाहिए। खाना पचाने में समय दो।
- शराब, चाय, कॉफी कम पियो।
- अपने वजन पर ध्यान दो, मोटापा भी पेट की समस्या बढ़ाता है।
- दिन में थोड़ा-बहुत टहलना और हल्का व्यायाम करना अच्छा रहता है।
- डॉक्टर के पास जाओ:
अगर दवाइयों से आराम न मिले और दर्द बना रहे, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाओ। डॉक्टर पेट की जाँच करके सही दवा या इलाज देंगे।
कभी-कभी पेट की अंदरूनी बीमारी या संक्रमण हो सकता है, जो बिना सही इलाज के बढ़ सकता है।
क्यों ये बातें ज़रूरी हैं?
कई बार हम छोटे-छोटे पेट दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसा करना सही नहीं। खासकर जब दर्द रात को हो और बार-बार हो, तो ये कुछ बड़ी समस्या का इशारा हो सकता है। सही इलाज जल्दी मिलने से बड़ी बीमारी से बचा जा सकता है।
अंत में
रात को पेट दर्द से परेशान होना आम बात है, लेकिन उसको हल्के में न लें। दवा और जीवनशैली में बदलाव की कोशिश जरूर करें। फिर भी अगर समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा है। ध्यान रखें, समय पर इलाज शुरू करने से जल्दी आराम मिलेगा और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।